मौको कहाँ ढूँढे रे बंदे, मैं तो तेरे पास में ,
ना तीरथ में ना मूरत में, ना एकांत निवास में,
ना मंदिर में ना मस्जिद में, ना कभी कैलाश में
मैं तो तेरे पास में बंदे....मैं तो तेरे पास में ,
खोजी होये तुरंत मिल जाऊं, एक पल की तलाश में
कहत कबीर सुनो भाई साधु, मैं तो हूँ विश्वास में
ओ बंदा रे.....मैं तो तेरे पास में..!
ओ बंदा रे.....मैं तो तेरे पास में..!
ना मैं जप में, ना मैं तप में, ना व्रत उपवास में
ना मैं किरया करम में रहता, ना ही जोग सन्यास में
नही प्राण में नही पिंड में,ना ब्रह्मांड आकाश में,
ना मैं प्रकृति प्रवार गुफा में, ना ही स्वास की साँस में
खोजी होये तुरंत मिल जाऊं, एक पल की तलाश में
कहत कबीर सुनो भाई साधु, मैं तो हूँ विश्वास में
ओ बंदा रे.....मैं तो तेरे पास में..!
ओ बंदा रे.....मैं तो तेरे पास में..!
No comments:
Post a Comment